साधना में धैर्य
साधना के जीवन में धैर्य सबसे बड़ी बात है। बीज को बोकर कितनी प्रतीक्षा करनी होती है। पहले तो श्रम व्यर्थ ही गया दिखता है। कुछ भी परिणाम आता हुआ प्रतीत नहीं होता। पर एक दिन प्रतीक्षा प्राप्ति में बदलती है। बीज फटकर पौधे के रूप में भूमि के बाहर आ जाता है। पर स्मरण रहे, जब कोई परिणाम नहीं दिख रहा था, तब भी भूमि के नीचे विकास हो रहा था। ठीक ऐसा ही साधक का जीवन है।
जब कुछ भी नहीं दिख रहा होता, तब भी बहुत कुछ होता है। सच तो यह है कि–जीवन-शक्ति के समस्त विकास अदृश्य और अज्ञात होते हैं। विकास नहीं, केवल परिणाम दिखाई पड़ते हैं। साध्य की चिंता छोड़कर साधना करते चलें, फिर साध्य तो अपने आप आता चला जाता है। एक दिन आश्चर्य से भरकर ही देखना होता है कि यह क्या हो गया है! मैं क्या था और क्या हो गया हूं! तब जो मिलता है उसके समक्ष उसे पाने के लिए किया गया श्रम नाकुछ मालूम होता है।
—ओशो, ध्यान योग
Patience in meditationPatience is the greatest thing in the life of meditation. How much wait is to sow a seed. At first, labor seems to have gone waste. Nothing seems to be coming. But one day waiting turns into achievement. The seed explods and comes out of the ground as a plant. Remember, even when there was no results, there was development underground. This is exactly how the life of a seeker is.Even when nothing is seen, there is a lot. The truth is that–all the developments of life-force are invisible and unknown. Not growth, only results appear. Leave the worry of achievement and keep doing meditation, then achievement comes and goes automatically. One day is full of wonder what it has become! What I was and what I have become! Then the labor done to get it in front of what you get is unknown.—Osho, Meditation Yoga
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